Thursday 29 December 2016

पश्चिमी उजाला अंक दिसम्बर 2016

दिसम्बर 2016

सतयुग आरम्भ भारत से ही होगा- सैयद अब्दुल्ला तारिक

देवबन्द- देवबन्द यूनानी मेडिकल कॉलेज के सभागार में आयोजित सीरत-ए-पाक कार्यक्रम में वर्ल्ड आर्गेनाईजेषन रिलीजन्स एन्ड नालेज की देवबन्द षाखा द्वारा ओयोजित कार्यक्रम में बोलते हुए सैयद अब्दुल्ला तारिक ने कहा की सतयुग का आगमन और षुरूआत भारत से ही होगी एैसा मुहम्मद साहब (स0) की भविष्यवाणी है। उन्होने हिन्दु मुसलमान की धार्मिक समानताओ के विषय में बताते हुए कहा कि इस्लाम धर्म की षुरूआत भारत से हुई सिर्फ भाषाओ के अन्तर के कारण हम उसे पहचान नही पाए। इस्लाम के पहले सन्देष्टा हज़रत आदम (अलै0) सर्वगलोक से हिन्दुस्तान में ही उतारे गए थे। इसलिए इस्लाम भारत मूल का ही धर्म है। उन्होने हज़रत मुहम्मद साहब (स0) के जीवन पर प्रकाष डाला। कार्यक्रम की अध्यक्षता अषोक कुमार गोयल एडवोकेट की एवं संचालन मंसूर अनवर खान एड0 ने किया।  सैयद असलम काजमी ने सैयद अब्दुल्ला से परिचित करते हुए कहा कि प्रख्यात और महान विचारक, षोधकर्ता जो इस समय देष विदेष मे सभी धर्मो की गहन ओर गूढ जानकारी और धर्मो के बीच समानता एकता के विषय पर अध्यन्न और रिसर्च करने वाले एक मात्र विद्वान माने जाते है आदरणीय और सम्मानीय श्री सैयद अब्दुल्ला तारिक साहब ने अपने महान और लाभदायक विचारो के साथ सम्बोधित किया। श्री अब्दुल्ला तारिक ने कहा कि आज पूरा संसार बहुत सी ज्वलेंत समस्याओ से, बुराइयों से जूझ रहा है उन को दूर करने के बहुत से प्रयास हो रहे है परन्तु अभी तक कोई सफलता पूर्ण रूप से प्राप्त नही हुई है। षराब का सेवन विभिन्न प्रकार के नषे सूद ब्याज का प्रचलन भ्रण हत्या, दहेज प्रथा असहिषणुता बलात्कार, भ्रष्टाचार, अत्याचार, रिषवत, उच,नीच जैसी समस्याओ और बुराईयो ने संसार को अपनी चपैट में ले रखा है कोई देष वेष्यावृति को दूर नही कर पा रहा आज से चौदह सौ वर्ष पूर्व हज़रत मुहम्मद साहब जो मॉडल लाये थे उसके द्वारा ही इन बुराईयो व समस्याओ का उन्मूलन किया जा सकता है हजरत मुहम्मद साहब के जन्म के समय अरब देष व उसके आस पास के क्षेत्रो में यह बुराईयां चरम पर थी। उस समय यह बुराईया और कुप्रथाए आज के युग से भी अधिक भयानक और विकराल रूप में समाज में फैली हुई थी। यहां भ्रण हत्या तो बहुत दूर लडकी के पैदा होते ही जीवित धरती में गाड़ दिया जाता था। कन्या का पैदा होना अभिषाप था पिता अपनी पुत्री को पैदा होते ही जीवित गढ़ढे़ में दाब आता था। सूद, ब्याज और जुअे की यह दषा थी कि लोग अपना घर, दुकान, सम्पत्ति के साथ साथ अपनी पत्नि को भी दांव पर लगा देते थे। दासो पर अत्याचार किया जाता था। उन्हे ऊॅट के पीछे बांधकर खेल के मैदानो में घसीटा जाता था। और लोग तालियां बजाते थे उन्हें नीचा समझा जाता था। ग़रीबो का कोई सम्मान नही था। महिलाओं का उत्पीड़न किया जाता था। वेष्यावृति आम थी महिलाओ को पैर की जूती समझी जाती थी। बलात्कर होते थे आपसी लडाईया लडी जाती थी। हत्याऐ होती थी समाज में असहिषणुता फैली हुई थी।
ऐसी परिस्थियो के मध्य हज़रत मुहम्मद साहब का जन्म हुआ। चालीस साल की उम्र में आपको ईषदूत का पद प्राप्त हुआ और आपने ईष्वर का सन्देष फैलाना आरम्भ किया। आपने पुकारा और कहा कि हे मनुष्य तुम्हारा मालिक एक है तुम एक माता पिता की संतान हो अतः तुम सब आपस में भाई भाई हो समस्त मनुष्य जाति समान है ना काई ऊॅचां है ना कोई नीचां प्रेम करो रहम करो ऊपर वाला उसी पर रहम और कृपा करता है जो नीचे धरती पर रहने वालो पर रहम करता है मॉ बाप के आगे -हूँ भी मत कहो।
श्री अब्दुल्ला तारिक़ ने आगे बताया कि  धर्म एक है। काब़ा में स्थित हज़र-ए-अस्वद को ही हिन्दू भाई असली षिवलिंग मानते है जिसे हज़रत आदम अले0 स्वर्ग से अपने साथ लाए थे। श्री अब्दुल्ला तारिक़ ने बताया कि हज़रत आदम धरती के सबसे पहले मनुष थे अपकी पत्नि ह0 हव्वा थी। इन्ही को हिन्दू समाज भी मानता है हिन्दू ग्रन्थो में ह0 हव्वा के लिए हव्यवती नाम आता है और हज़रत आदम अलै0 के लिए आदिम नाम आता है जल प्लावन की प्रसिद्ध कथा या तूफाने नूह हिन्दू धर्म ग्रन्थो, कुरआन और बाईबिल में मिलती है हज़रत मुहम्मद साहब के कलियुग में आने की भविष्यवाणी नराषंस के नाम से हिन्दू धर्म ग्रन्थो में मिलती है ह0 मुहम्मद साहब ने ईष्वर प्रदत्त संविधान के द्वारा मात्र तैईस साल में उन सब बुराईयो और कुप्रथाओं को जड़ से उखाड दिया जिस देष में हर घर में मटको में षराब भरकर रखी जाती थी वहां षराब का नाम लेने वाला भी नही मिला स्त्रियो का सम्मान समाज में इतना बढ गया कि दहेज देना तो दूर इसके विपरीत षादी ब्याह में उनको लडके की तरफ से मेहर के रूप में रक़म मिलने लगी कन्या हत्या तो अब क्या होती लड़कियो को विरासत में हिस्सा मिलने लगा। अकेली औरत भी बेहिचक रात के अंधेरे में घर से निकल जाती उसे कोई डर ना था सूद ब्याज माफ कर दिये गए। असहिषणुता के स्थान पर प्रेम के पुष्प सुगधं फैलाने लगे। आपस की नफरते घृणाए सामप्त हुई भृष्टाचार मिट गया ब्लात्कार के नाम से मनुष्य स्वयं डरने लगा। दासो को समाज में सम्मान प्राप्त हुआ। ईमानदारी बढ गयी सब मनुष्य एक ईष्वर के साये तले आ गये और एक हो गए एक ईष्वर अल्लाह के अधीन होकर उन्होंने अपने जीवन को सवांर लिया धरती स्वर्ग बन गई।
भाषाओ और सीमाओ से ऊपर उठकर उन्होंने एक मालिक को अपना पूज्य बना लिया। भाई बन गए एक हो गऐ
डा0 कमरूज्ज़मा साहब ने कहा
कि एक इंसान की पहचान तिलक और टोपी से न होकर उनके कार्यो से होनी चाहिए हम सब भारतीय है अनैकता में एकता है ही इस देष की विषेषता है।
सभा के अध्यक्ष अषोक कुमार गोयल एड0 ने सभी का धन्यवाद देते हुए कहा कि यदि अब्दुल्ला तारिक के ये विचार हम अपने जीपन मे उतारले तो निष्चय ही समाज और देष आध्यात्मिक उन्नती की ओर तेजी़ से चढेगा और विष्वका नेतृत्व करेगा।
समारोह में नरेष कुमार, अषोक गुप्ता, रविन्द्र पुंडीर, जितेन्द्र पुंडीर एड0, यषपाल त्यागी, सियाराम त्यागी, नदीम,  खालिद हसन डा0 अयाज़ अहमद, इस्लामुद्दीन साजिद हसन, दानिष, अषफाक, तौफीक जग्गी आदि भी मौजूद रहे।






Saturday 28 May 2016

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